Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Stories Special On Happy Raksha Bandhan, कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन का पर्व, रक्षाबंधन की पौराणिक कथा

 

रक्षाबंधन भाई- बहन का पावन त्योहार है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई बहन को उपहार देता है। रक्षाबंधन का जिक्र महाभारत में भी मिलता है। द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण को राखी बांधी थी। धार्मिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी।


आज रक्षाबंधन पर नहीं रहेगा भद्रा का कोई प्रभाव

शोभन, अमृत और गजकेसरी योग में मनाएंगे पर्व


रक्षाबंधन पर शोभन योग सुबह करीब 10.37 बजे तक रहेगा। 

अमृत योग सुबह 5.40 से शाम 5.30 बजे तक रहेगा। 

रविवार को धनिष्ठा नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग भी रहेगा।


Stories Special On Happy Raksha Bandhan, कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन का पर्व, रक्षाबंधन की पौराणिक कथा



रक्षाबन्धन भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन बाजार मे कई सारे उपहार बिकते है, उपहार और नए कपड़े खरीदने के लिए बाज़ार मे लोगों की सुबह से शाम तक भीड होती है। घर मे मेहमानों का आना जाना रहता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है, इस त्योहार के दिन सभी परिवार एक हो जाते है और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते है।

अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी

अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी है। हिन्दुस्तान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य परस्पर भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। 

भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया (यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है)-


येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

 

इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)"


भारत में आमतौर पर लोग चावल और दूध से बनी खीर खाना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी मखाने की खीर खाई है? इस रक्षाबंधन बहनें अपने भाई के लिए मखाने की खीर बना सकती हैं। यह बेहद ही स्वादिष्ट और लजीज होता है।


रक्षाबंधन की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा है कि जब भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में दैत्यों के राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर सारी सृष्टि अपने दो पैरों से नाप दी थी। तब तीसरा पैर रखने के लिए बलि ने अपना सिर भगवान के आगे कर दिया। भगवान विष्णु ने बलि के इस दानी भाव से खुश होकर उसे पाताल लोक का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा। तब राजा बलि ने वरदान मांगा कि खुद भगवान विष्णु ही उस पाताल लोक के पहरेदार बनकर उसकी रक्षा करें। वरदान के कारण भगवान विष्णु को पाताल लोक का पहरेदार बनना पड़ा। जब काफी दिनों तक भगवान विष्णु अपने वैकुंठ लोक नहीं पहुंचे तो देवी लक्ष्मी उन्हें छुड़ाने के लिए पाताल लोक गईं। वहां उन्होंने भेष बदलकर बलि से मुलाकात की और कहा कि मेरा कोई भाई नहीं है, मैं आपको रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाना चाहती हूं। राजा बलि मान गए। लक्ष्मीजी ने उन्हें रक्षासूत्र बांधा और भाई बना लिया। राजा बलि ने उनसे खुश होकर कुछ उपहार मांगने को कहा, तब देवी लक्ष्मी ने कहा कि वो भगवान विष्णु को अपने वरदान से मुक्त कर उन्हें अपने लोक जाने दें। राजा बलि ने अपना वचन पूरा करते हुए भगवान विष्णु को उनके वरदान से मुक्त कर दिया।


महाभारत के अनुसार 

राखी से जुड़ी एक सुंदर घटना का उल्लेख महाभारत में मिलता है। सुंदर इसलिए क्योंकि यह घटना दर्शाती है कि भाई-बहन के स्नेह के लिए उनका सगा होना जरूरी नहीं है। कथा है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। लौटते हुए सुदर्शन चक्र से भगवान की छोटी उंगली थोड़ी कट गई और रक्त बहने लगा। यह देख द्रौपदी आगे आईं और उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। इसी समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह एक-एक धागे का ऋण चुकाएंगे। इसके बाद जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी के चीर की लाज रखी। कहते हैं जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था वह श्रावण पूर्णिमा की दिन था।


युधिष्ठिर ने अपने सैनिकों को बांधी राखी

राखी की एक अन्य कथा है कि पांडवों को महाभारत का युद्ध जिताने में रक्षासूत्र का बड़ा योगदान था। महाभारत युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि हे कान्हा, मैं कैसे सभी संकटों से पार पा सकता हूं? मुझे कोई उपाय बतलाएं। तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिकों को रक्षासूत्र बांधें। इससे उनकी विजय सुनिश्चित होगी। युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया और विजयी बने। यह घटना भी सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर ही घटित हुई मानी जाती है। तब से इस दिन पवित्र रक्षासूत्र बांधा जाता है। इसलिए सैनिकों को इसदिन राखी बांधी जाती है।


इंद्र और शचि की कथा

रक्षाबंधन की शुरुआत को लेकर कई धार्मिक तथा पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन माना जाता है कि सबसे पहले राखी या रक्षासूत्र देवी शचि ने अपने पति इंद्र को बांधा था। पौरणिक कथा के अनुसार जब इंद्र वृत्तासुर से युद्ध करने जा रहे थे तो उनकी रक्षा की कामना से देवी शचि ने उनके हाथ में कलावा या मौली बांधी थी। तब से ही रक्षा बंधन की शुरूआत मानी जाती है।


चित्तौड़ के शासक महाराणा विक्रमादित्य को कमजोर समझकर गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह ने राज्‍य पर आक्रमण कर दिया था. इस मुसीबत से निपटने के लिए कर्णावती ने सेठ पद्मशाह के हाथों हुमायूं को राखी भेजी थी.


मार्च 1534 में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चितौड़ के नाराज सामंतो के कहने पर चितौड़ पर हमला किया था. राणा सांगा की पत्नी राजमाता कर्णावती को जब ये पता चला तो वे चिंतित हो गईं. उन्‍हें पता था कि उनके राज्‍य की रक्षा केवल हूमायूं कर सकता है. इसलिए मेवाड़ की लाज बचाने के लिए उन्होने मुगल साम्राट हुमायूं को राखी भेजी और सहायाता मांगी. हुमायूं ने राखी का मान रखा. राखी मिलते ही उसने ढेरों उपहार भेजें और आश्वस्त किया कि वह सहायता के लिए आएगा. चित्तौड़ के शासक महाराणा विक्रमादित्य को कमजोर समझकर गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह ने राज्‍य पर आक्रमण कर दिया था. इस मुसीबत से निपटने के लिए कर्णावती ने सेठ पद्मशाह के हाथों हुमायूं को राखी भेजी थी.

संदेश - राखी के साथ कर्णावती ने एक संदेश भी भेजा था. उन्‍होंने सहायता का अनुरोध करते कहा था कि मैं आपको भाई मानकर ये राखी भेज रही हूं.

दरअसल, उन दिनों हुमायूं का पड़ाव ग्वालियर में था, इसलिए उसके पास राखी देर से पहुंची थी. जब तक वे फौज लेकर चित्तौड़ पहुंचे थे, वहां बहादुरशाह की जीत और रानी कर्णावती का जौहर हो चुका था.


'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

Post a Comment

0 Comments