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खुद को कभी फुर्सत मिले तो,सोचना जरूर....

 
 दोस्तों, 
            आज का मौजू आपको कुछ अजीब सा जरूर लगेगा लेकिन है हकीकत के बहुत करीब..........
"खुद को कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर।।।"
वैसे तो हम रोज ही किसी न किसी नये इंसान से मिलते रहते है।कुछ के साथ एक कभी खत्म न होने वाला रिश्ता बन जाता हैं।ऐसा लगने लग जाता हैं कि उसके मिलने से पहले यह जिंदगी कितनी अधूरी थी।
यह सिलसिला लगातार यूँही चलता रहता हैं।अचानक फिर कोई एक और शख़्स जिंदगी में आता हैं, पहले वाले से बेहतर दिखने वाला,ज्यादा समझदार, ज्यादा हमदर्द।धीरे -धीरे वो दिल दिमाग की गहराइयों में जगह बनाने लगता है।और हम नए दोस्त के चक्कर में पुराने को भूलने लगते है।हमे मालूम ही नही होता कि हम नए के चक्कर मे कितने पुराने  हमदर्दो को पीछे छोड़ दिया है।
जब कोई गहरी चोट दिल पे लगती हैं तो अचानक फिर से वही पुराने रिश्ते, पुराने लोग याद आ जाते है।क्या यह सही है?खुद को कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर!!!


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