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पहली बारिश.....The Season of love.

दोस्तों, यह मेरी पहली कहानी है । जब  से लिखना शुरू किया है।

फिजा के रंग बदले देखकर छत पर जाने का मन किया तो,मैं इस्मत को लेकर छत पर चला  आया।हम बैठे ही थे कि कुछ ही देर में  आइशा गर्म-गर्म पकौड़े लेकर ऊपर आ गई।मौसम बड़ा खुशनुमा था।हम पकौड़ो का आनन्द ले ही रहे थे कि अचानक बारिश शुरु हो गई,आइशा इस्मत को लेकर नीचे चली गई,यह कहते हुए की बरसात में मत भिगो सर्दी लग जायेगी।मैने उसे कुछ देर आने के बाद कहा और चेयर पर बैठ गया।मुझे बारिश से बहुत लगाव हैं, खाशकर पहली बारिश।अचानक मेरी नजर सामने वाली छत पर पड़ी जहाँ एक लड़की बारिश को अपने आगोश में लेने की कोशिश कर रही थी।मैंने झट से अपना चश्मा लगाया व गौर से देखने ली कोशिश की।और देखता ही रह गया अरे यह तो सना है  मेरी बचपन की दोस्त कम दुुुश्मन ज्यादा।न जाने क्यों उसे देखते ही आंखों में  बचपन करवटें लेने लगा। 

कितने प्यारे थे वो लम्हें जब हमारी शादियां नही हुई थी।ना गृहस्थी का झंझट ना नोकरी की चिंता बस केवल पढ़ाई व फुल मस्ती।बरसात का मौसम क्या आता मानो आसमान से खुद जन्नत उतर कर आ गई हो।सना ख़ुशी के मारे पूरा मोहल्ला सर पर उठा लेती थी।मुझे अच्छे से याद है अम्मी हमे खूब डराया करती थी कि पहली बारिश में कभी नहीं भीगना चाहिए बीमार पढ़ जाओगे सना थी की बिल्कुल अलग सबसे जुदा वह हमेशा कहती कि खुदा की नेमत का दिल होलकर स्वागत करना चाहिए और वह हाथ पकड़ कर मुझे बाहर ले जाती पीछे से मम्मी की आवाज आती इसे जुखााम हो जाएगा और फिर वह चिल्लाती इस बुद्धू डरपोक को कुछ नहीं होने दूंगी आंटी फिर हम घर से बहुत दूर सड़क पर निकल जाते रेहाना अयान अंजलि राहुल और भी बहुत सारे बंदे थे हमारी मंडली में फिर शुरू होता एक दूसरे के साथ मजाक का सिलसिला एक दूसरे को पकड़ पकड़ कर पानी मेंं डालते मुझे सबसे ज्यादा परेशान सना करती वह इतनी ज्यादा बिंदास व निडर लड़की थी की जहां ज्यादाा पानी भरा हुआ होता वह उछल कर मेरी पीठ पर बैठ जाती और फिर मैं उसे छेड़ता की बरसात में आओ तो खाना कम खाया करो ताकि यह बोरी थोड़ी हल्की हो जाए यह सुनकर वह  जाती और मुझे लात वह हाथों से मारने लगती मैं हंसते हंसते यह सब सहन करता रहता हूं और उसे ज्यादा चिढ़ाते वह हमेशा गर्म पकौड़ी के पैसे मेरे जेब से लगवाती और कहती यह हमारााा एटीएम है क्योंकि मेरेे पिताजी मोहल्लेे में इकलौते सरकारी नौकर थे मैं चुपचाप उसके हर नखरे शान से उठाता पता नहीं क्यों ना कभी उसे परेशान करता बस वही मुझे दुश्मन की तरह परेशान करती शायद यह उसका मेरे लिए प्यार था एक बार मुझे बहुत तेज बुखार था इसलिए मैंने उसेबरसात में आने से मना कर दिया लेकिन सबके मना करने के बावजूद भी वह नहीं मानी वह बहुत जिद्दी लड़की उसने सबकेे सामने मेरा हाथ खींच कर मुझे बाहर बरसात मे गई

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